Monday, June 14, 2010

माँ आज क्या पकाएगी (मानसून)

घिरा घनघोर,
वर्षा चहुँ ओर,
बुंदियाँ ये बड़ी-बड़ी,
धरती कि ओर बढ़ी,
पुलकित मन मयूरा,
हंसा गॉंव का छोरा,
चौखट बौछार आई,
देख ये माँ चिल्लाई,
बिटिया क्या भींज रहा,
छप्पर है छींज रहा,
बापू हर्षाये है,
अबके फसल अच्छी आये है,
लगे ज्यों त्यौहार दिवस,
घर-भर में लक-दक,
ख़ुशी गीत गाएगी,
माँ आज क्या पकाएगी ?
(गरम-गरम पकोड़े)
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अतुल, राधास्वामी !

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