Tuesday, June 15, 2010

उड़ान

उड़ जा ओ पंक्षी,
हो उमंगीत- भर उल्लास |
इतना बड़ा है तेरे पास, तेरा आकाश |
न अपने कद को जान भ्रमित हो,
न नाप अपने पंखों की चौड़ाई |
वक्ष उठा ऊपर को ,
उड़ चल ले अंगड़ाई |
देख !
जोहती है तुझको ऊंचाई वह |
तत्क्षण तेरे नीचे होगी धरती यह |
शंकित हो न बैठ यूँ  ही,
नादानी होगी |
उड़ हाँ उड़ ,
तेरी उड़ान "एक कहानी" होगी |
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अतुल, राधास्वामी !

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