Saturday, June 19, 2010

प्रयास

आस की वैसाखी पकड़,
निराश मन !
एक जतन,
बस एक जतन और,
ओट में मंजिल छुपी है,
हार न, थकहार न,
एक कदम,
बस एक कदम और
खोल ले अपनी पलक,
देख उजाले की झलक,
ले ! थाम ले बांह किरण की,
एक किरण,
बस एक किरण और |
_____
अतुल, राधास्वामी !

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